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लंदन में रहकर हिन्दी सेवा कर रही हैं जय वर्मा…

आधुनिक एवं पारम्परिक संस्कृति का प्रतीक है सात कदम प्रकाशन…

मित्रों, देश की संस्कृति के प्रति जज्बा एवं कुछ करने की चाहत व्यक्ति को चैन से नहीं बैठने देती। इसी कड़ी में श्रीमती जय वर्मा जो पिछले 45 वर्षों से ब्रिटेन में रहकर हिन्दी की सेवा कर रही हैं। इनके अनेक प्रकाशन आ चुके हैं। काव्य रंग, नॉटिघंम की संस्थापक सदस्य एवं अध्यक्ष के रूप में, यूनेस्को के साहित्यक शहर नॉटिघंम की सदस्या तथा भारतीय संस्कृति का ब्रिटेन में परचम लहरा रही डॉ. जय वर्मा का गत दिवस सात कदम कहानी संग्रह प्राप्त हुआ। इस कहानी संग्रह में कोई और सवाल, गूंज, गुलमोहर, सात कदम, किधर, फिर मिलेंगे और गोल्फ सात कहानियों का संकलन किया गया है। इनकी कहानियां भारतीय एवं विदेशी जीवन शैली के इर्द-गिर्द घूमती हैं। विदेशी जीवन शैली में भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों की मनोवैज्ञानिक उपस्थिति इनकी कहानियों के पात्रों के मन में बेचैनी, उथल-पुथल, बेबसी, हताशा के स्वर गूंजते हैं। वास्तव में यह पुस्तक पढ़कर विदेश में रहने वाला व्यक्ति कैसे भारतीय सरोकारों से जुड़ा हुआ है उसका आभास होता है। प्रवासी भारतीयों के रहन-सहन, खान-पान, विचारों, व्यवहार, जीवन-शैली, पाश्चात्यता एवं भारतीय संस्कारों के बीच जद्दोजहद इनकी कहानियों का मूल बिन्दू है। हम डॉ. जय वर्मा के इस प्रकाशन पर उन्हें बधाई देते हैं और भगवान से कामना करते हैं कि उनकी सृजनात्मकता विदेश में रहकर भी निरंतर भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पित एवं सृजनशील रहे

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